न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर… तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है …!!!
तेरे इश्क से मिली है मेरे वजूद को ये शौहरत ,मेरा ज़िक्र ही कहाँ था तेरी दास्ताँ से पहले।
वो जो सर झुकाए बैठे हैं, हमारा दिल चुराए बैठे हैं… हमने कहा हमारा दिल लौटा दो,वो बोली- हम तो हाथो में मेहँदी लगाये बैठे हैं….
सारा बदन अजीब से खुशबु से भर गया शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया..
तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम…… प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे…
बाज़ार के रंगों से रंगने की मुझे जरुरत नही, किसी की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है..
कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं, मै वो शख़्स नही..वो शायर हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है..
क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारो थे!
होती नहीं है मोहब्बत सूरत से;मोहब्बत तो दिल से होती है;सूरत उनकी खुद-ब-खुद लगती है प्यारी;कदर जिनकी दिल में होती है।
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ऐ दिल, अभी तो पलके झुकाई है, मुस्कुराना बाकी है उनका ।।
जान लेने पे तुले हे दोनो मेरी..इश्क हार नही मानता..दिल बात नही मानता
उसे बारिश ☂ मे भीगना अच्छा लगता है ओर मुझे सिर्फ़ बारिश मे भीगती हुयी वो
मेरे इस दिल को तुम ही रख लो,बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!
यूँ तो आदत नहीं मुझे मुड़ के देखने की..तुम्हें देखा तो लगा..एक बार और देख लूँ
कहतें हैं कि मोहबत एक बार होती है..पर मैं जब जब उसे देखता हूँ..मुझे हर बार होती है॥
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता न वक़्त के साथ न हलात के साथ
तुम मुझे अच्छे या बुरे नहीं लगते बस अपने लगते हो।
काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर…!!! वो आ कर गले लगा ले…..मेरी इजाजत के बगैर!!!!!
क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे… और तुम गले लगा के कहो, “और कुछ?”
लोग हर बार यही पूछते हैं तुमने उसमें क्या देखा , मैं हर बार यही कहता हूँ , बेवजह होती है मोहब्बत।
पहले तो यूं ही गुज़र जाती थीं , मोहोब्बत हुई… तो रातों का एहसास हुआ..।।
वो शाम का दायरा मिटने नहीं देते , हमसे सुबहे का इंतज़ार होता नहीं है ।
दिल मे छूपा रखी.. है मुहब्बत काले धन की तरह… खुलासा नही करता हू कि कही हंगामा ना हो जाये.
मेरी दिल की दिवार पर तस्वीर हो तेरी.. और तेरे हाथों में हो तकदीर मेरी।